जबतक सरकार गन्ना मूल्य घोषित करेगी और चीनी मिल चलेंगे। तबतक आर्थिक तंगी का शिकार और जरुरतमंद किसान क्रेशर मालिकों के हाथ सस्ते में अपना अधिकांश गन्ना बेच चुका होगा। दो सौ रुपये से भी कम मूल्य पर किसान का गन्ना क्रेशरों पर बिक रहा है। कई जगह तो 150 रुपये भी नहीं मिल रहे। लघु-सीमांत किसान की जेब खाली है। शरद ऋतु शुरु है। उसे बरसात में लिया हाथ उधार लोगों का चुकाना है। गरम कपड़ों तथा रजाई-गद्दों का इंतजाम भी करना है। गंगा मेले पर जाने की बच्चे जिद कर रहे हैं। वहां को भी दमड़ा चाहिए। सबसे जरुरी रबी की फसल की बुवाई को खाद बीज का इंतजाम भी करना है। इधर कई तरह के बुखारों से परेशान लोगों को बिन बुलाया यह खर्चा भी उठाना पड़ रहा है। इतने सारे खर्च और दो चार बुग्गी गन्ना, वह भी आधे-तिहाई भाव में लुटाना पड़ रहा हो, तो बताईये बेचारे किसान की क्या हालत होगी?
यदि समय से मिल चल जायें और नकद भुगतान हो जाये तो इस गरीब किसान को एक बड़ी राहत मिल सकती थी लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। लोग मनरेगा से काफी राहत महसूस कर रहे थे। बताया जा रहा है कि पैसा ही नहीं आया। यह छोटे किसानों और मजदूरों पर दूसरा बज्रपात है।
चुनावी मौसम में भी छोटे किसानों और मजदूरों की सुनवाई नहीं हो रही। जबकि अखबारों के पन्नों में सरकारें इस वर्ष की तकदीर बदलने के दावे करने में प्रतिदिन करोड़ों रुपये के विज्ञापनों पर खर्च कर रही हैं। राहत किसानों को चाहिए जबकि बड़े उद्योगपतियों के अखबारों को इस बहाने पैसा दिया जा रहा है।
छोटे किसानों का गन्ना जबतक सस्ते में नहीं लुट जायेगा, तबतक मिलों पर भी गन्ने का भाव घोषित नहीं होगा। भले ही किसान इसके लिए कितने ही धरने-प्रदर्शन कर लें।
-जी.एस. चाहल
फिर लुटा छोटा किसान
Reviewed by Gajraula Times
on
November 05, 2016
Rating:
