भाजपा की यूपी में विजय, केन्द्र में पराजय का सबब बनेगी?


जब भाजपा शासित राज्यों में जनता के वही वर्ग जिन्होंने भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई एक-एक कर भाजपा के खिलाफ होते जा रहे हैं तो भला यूपी में भाजपा राज में शांति की क्या गारंटी है?.

अधिकांश बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का मनना है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा परिणाम आगामी लोकसभा चुनावों और दिल्ली की सत्ता का फैंसला करेंगे। उनका साफ कहना है कि 2019 में यदि भाजपा को फिर से केन्द्र में सत्ता पानी है तो सबसे अधिक सीटों वाले इस सूबे में उसे अपनी सरकार बनानी होगी। इसका मतलब यह है कि यूपी का आगामी विधानसभा चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव का सेफाइनल माना जा रहा है।

मैं इन विद्वान पत्रकारों और राजनीतिक समीक्षकों की राय से सहमत नहीं हूं। उसके कई कारण हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जितने भी राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए भाजपा के चुनाव प्रचार में इस बात को समझाने की कोशिश की गयी कि केन्द्र की तरह राज्यों में भी भाजपा की सरकार बनवाओ तो आपकी समस्याओं का समाधान होगा। गैर भाजपाई दल राज्यों में विकास नहीं कर पा रहे। इसी बिन्दू पर उत्तर प्रदेश में भी जोर दिया जा रहा है और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आयेगा भाजपा इस बात पर और भी जोर देगी। इसके साथ-साथ कई अन्य मुद्दे भी तैयार हैं। लेकिन बड़ा मुद्दा यही होगा।

थोड़ा पीछे मुड़कर देखिये, राजस्थान, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी ने पानी पी-पी कर इन राज्यों की तत्कालीन सरकारों की कड़ी आलोचना की तथा भाजपा को खुशहाली के लिए सत्ता में लाने का आहवान किया। जहां राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र में उन्हें सफलता मिली वहीं जम्मू में भी उन्हें अच्छी सफलता भी मिली। राजस्थान में जाट और गूजरों, और हरियाणा में जाटों को आरक्षण दिलाने का भरोसा देकर, गुजरात में कृषि से जुड़े पटेल समुदाय को लाभ दिलाने, महाराष्ट्र में मराठों के उत्थान के वादे और जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति और विकास का नारा देकर वोट हासिल कर लिये।

इन पांच राज्यों की हालत पर नजर डालिये। प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में पटेल समुदाय अपनी उपेक्षा के कारण तथा चुनाव पूर्व भाजपा द्वारा किये वायदों के पूरा न करने से आहत आंदोलित है। वहां दलित उत्पीड़न ने दलितों को सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतार दिया। हरियाणा में जाटों से किये वायदे की मांग को पूरा करने के लिए आरक्षण तो दिया ही नहीं गया उल्टे उसे बदनाम कर तमाम हिन्दू समाज से अलग-थलग करने का प्रयास किया जा रहा है। एक खुशहाल राज्य बदहाली की ओर बढ़ना शुरु हो गया। महाराष्ट्र में बहुसंख्यक मराठा समुदाय पहली बार सड़कों पर है। दो माह से आंदोलित लाखों लोगों की समस्याओं से केन्द्र और सूबा दोनों सरकारें मुंह फेर रही हैं।

राजस्थान में भी भाजपा की सरकार बनते ही गूजरों की आवाज अनसुनी की गयी तथा उन्हें किस तरह काबू में किया गया यह वहां के लोग अच्छी तरह जानते हैं। जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति का वादा कर गठबंधन सरकार बनाने वाली भाजपा वहां कैसी शांति बहाल कर पायी सब जान गये हैं। तीन माह से कर्फ्यू का जीवन जी रहे वहां के लोग भला कैसे शांत रहेंगे? पलायन कर गये कश्मीरी ब्राह्मणों के पुनर्वास की सुगबुगाहट तक बंद है। सरकारी असमंजसता के चलते राज्य में साम्प्रदायिक तनाव घटने के बजाय बढ़ा है।

भाजपा और हमारे राजनैतिक समीक्षकों को समझना होगा कि उपरोक्त पांच राज्यों की वह जनता जिसने खुशहाली और शांति के लिए दोनों स्थानों पर भाजपा की सरकारें बनवायीं, जब पहले से अधिक परेशान है और भाजपा के खिलाफ सड़कों पर हैं तो उत्तर प्रदेश में भी यदि भाजपा की सरकार बनी तो यहां भी क्या हालात और भी बदतर नहीं होंगे? भाजपा जनता को अपनी बात कहने से रोक रही है। केन्द्र का एक ताजा निर्देश आया है कि सरकारी नौकर सरकार की आलोचना करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। यह कैसा लोकतंत्र स्थापित किया जा रहा है?

जब भाजपा शासित राज्यों में जनता के वही वर्ग जिन्होंने भाजपा को सत्ता दिलाने में अहम भूमिका निभाई एक-एक कर भाजपा के खिलाफ होते जा रहे हैं तो भला यूपी में भाजपा राज में शांति की क्या गारंटी है? ऐसे में भाजपा की यहां विजय 2019 के चुनाव में लाभ के बजाय क्षति ही पहुंचायेगी।

-जी.एस. चाहल.

POLITICS  के ताज़ा अपडेट के लिए हमारा फेसबुक  पेज लाइक करें या ट्विटर  पर फोलो करें. आप हमें गूगल प्लस  पर ज्वाइन कर सकते हैं...
भाजपा की यूपी में विजय, केन्द्र में पराजय का सबब बनेगी? भाजपा की यूपी में विजय, केन्द्र में पराजय का सबब बनेगी? Reviewed by Gajraula Times on October 22, 2016 Rating: 5
Powered by Blogger.