दुखी किसान चुनाव में लेगा बदला

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किसानों को दुखी करके कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती.

किसान संगठन इस बार गन्ना मूल्य चार सौ से साढ़े चार सौ करने की मांग कर रहे हैं। सूबे में सभी जगह मिल शीघ्र चलाने और गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग की जा रही है। पिछले सत्र में खरीदे गन्ने का अवशेष मूल्य भी किसानों को नहीं मिला उसकी मांग मिल बंद होते ही शुरु हुई थी। अदालत द्वारा किसानों का भुगतान ब्याज सहित करने का आदेश मिलों को दिया गया था। यह ब्याज लगभग सात हजार करोड़ रुपये बनता था। चीनी के दाम मिल बंद होते ही 25 सौ से चार हजार हो गये। किसान वर्ष मनाने वाली सूबे की सरकार ने एक तरफा फैसला लेकर किसानों को दिये जाने वाले सात हजार माफ कर दिये। यानि मिलों को दोहरा लाभ चुनाव से पूर्व दे दिया गया। जबकि किसानों के गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया गया और इस बार नया गन्ना सत्र शुरु होने वाला है, गन्ना मूल्य घोषित करने पर सरकार खामोश है। केन्द्र और राज्य सरकारें किसानों को बहकाकर उनके वोट हासिल करना चाहती हैं लेकिन उनकी गन्ना नीति और मिल मालिकों को लाभ पहुंचाने से किसान समझ गये हैं कि मिलों से चुनाव खर्च वसूलने के लिए उन्हें पहले ही लाभ पहुंचा दिया है।

क्रेशर और कोल्हू चालू हो गये। दीपावली तक सभी क्रेशर चालू हो जायेंगे लेकिन मिल कब चलेंगे यह अनिश्चित है। चलेंगे भी तो समय पर पैसा नहीं मिलेगा। पिछले दो साल में किसान घाटे से टूट चुका। उसपर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। अब रबी फसल बोने, ठंड से बचाव को कपड़े आदि बनवाने, बच्चों की शिक्षा के खर्च आदि का इंतजाम करना है। ऐसे में मजबूरी में किसानों को अपना गन्ना क्रेशर और कान्हुओं पर सस्ते में बेचना पड़ रहा है। महंगे खाद, बीज और डीजल वह नहीं खरीद पायेगा। उसकी हालत बद से बदतर होगी। साठ फीसदी आबादी को रोजगार देने वाली खेती की दोनों सरकारें उपेक्षा करने पर तुली हैं। किसानों को दुखी करके कोई भी पार्टी सत्ता में नहीं आ सकती। भाजपा और सपा दोनों को समझ लेना चाहिए।

गन्ना मूल्य शीघ्र घोषित कर मिल चलवाने किसानों के ही नहीं बल्कि देश हित में भी हैं। देशभक्ति का मुखौटा लगाने वालों को यह गंभीरता से सोचना होगा। खाली जेब किसान बाजार की ओर जाने का साहस नहीं जुटा पा रहा।

-जी.एस. चाहल.


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दुखी किसान चुनाव में लेगा बदला दुखी किसान चुनाव में लेगा बदला Reviewed by Gajraula Times on October 25, 2016 Rating: 5
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