उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल खींचतान कर तैयार हैं और सियासी घमासान के लिए तलवारें खिंचनी शुरु हो गयी हैं। इस बार सभी दल अपने बड़े नेताओं के बदले क्षेत्रीय पकड़ वाले उम्मीदवारों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की फिराक में हैं। इसमें वे जातीय समीकरण साधने पर भी पूरा गणित लगा रहे हैं।
ऐसे में कई उम्मीदवारों की अदला-बदली और कई सिटिंग एमएलए भी मैदान से बाहर होंगे। माना जा रहा है कि मुख्य मुकाबला यहां भाजपा, बसपा और सपा में होगा। जबकि कांग्रेस भी अपनी पकड़ मजबूत करने को खूब हाथ पैर मार रही है। उधर सूबे की राजनीति का एक अन्य घटक दल रालोद अपने अस्तित्व के लिए हाथ-पैर मार रहा है। सत्ता के गलियारे में सभी दलों की अपनी-अपनी कमजोरियां और अपनी-अपनी शक्ति के कारण मौजूद हैं। जिनका उनकी जय-पराजय में सहयोग रहेगा।
पिछली बार जब विधानसभा चुनाव में बसपा सत्ता में, सपा मुख्य विपक्ष और कांग्रेस और भाजपा इन दोनों से बहुत पीछे थी। चुनावी परिणाम सपा के पक्ष में गये, बसपा दूसरे नम्बर पर चली गयी। उसे सत्ता विरोधी लहर निगल गयी। इस बार सपा के खिलाफ सत्ता विरोधी रुख है और यादव कुनबा गुटबंदी का पहली बार शिकार हुआ है। ऐसे में वह कठिन दौर में है।
भाजपा अभी लोकसभा चुनावों जैसा माहौल बनाने की कोशिश में है। वह छिटकते दलित तथा जाट मतों को आकर्षित करने को हाथ पैर मार रही है। सवर्णों में कांग्रेस ने ब्राह्मण कार्ड खेलकर सेंधमारी को जोर लगाना शुरु किया है। बसपा अपने दलित मतों को साधने के साथ सपा के गृहयुद्ध का हवाला देकर मुस्लिम मतों को साधने पर फोकस कर रही हैं। कांग्रेस ब्राह्मणों को प्रमुखता देकर सभी वर्गों में सेंधमारी की चाल चलना चाहती है। परिणाम भविष्य के गर्भ में हैं।
-मनिंदर सिंह.
उत्तर प्रदेश में मौसमी पारा गिरा,चुनावी पारा चढ़ा
Reviewed by Gajraula Times
on
October 15, 2016
Rating:
