उत्तर प्रदेश में सियासी यात्रायें कितनी कारगर होंगी?

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उत्तर प्रदेश की सियासत इस समय यात्राओं के सहारे है. जो विकास की बात चुनाव के समय कही जाती है, वह पूरी होती नहीं, या अधूरे वायदे होते हैं.

कांग्रेस राहुल गांधी की किसान यात्रा को सियासी फायदे के तौर पर देख रही है। उसे लगता है कि ऐसा करने से किसान और मजदूर उससे जुड़ेंगे और आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को इससे कामयाबी मिलेगी। कांग्रेस का जो भी आकलन हो या जो भी गणित उसने चुनाव को देखकर लगाया हो, लेकिन एक बात तय है कि आने वाले चुनावों में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो सकता है। इससे सपा को थोड़ी तो कहीं अधिक घबराहट महसूस हो रही है। उसे आजकल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके मंत्रियों या नेताओं के चेहरे पर साफ देखा जा सकता है।

अब मुलायम सिंह यादव ने भी सोचा है कि वे कांग्रेस की किसान यात्रा को ललकारें। उससे पहले मुलायम सिंह भाजपा की तिरंगा यात्रा को देख चुके हैं। वो अलग बात है कि तिरंगा यात्रा और किसान यात्रा में जमीन-आसमान का अंतर रहा। सुनने में यहां तक आया कि तिरंगा यात्रा में लोग एकत्रित करने में भाजपा नेताओं के पसीने निकले वहीं किसान यात्रा में लोग खुद-ब-खुद सड़कों पर आ गये। यह भी रोचक होगा कि किस नेता की कितनी भीड़ वोट बनती है। क्योंकि राहुल गांधी को देखने वालों की तादाद हमेशा अधिक रही है। यही उसी तरह कहा जा सकता है जैसे पीएम नरेन्द्र मोदी को बिहार में देखने वालों की संख्या बहुत अधिक थी, मगर भाजपा को उससे लाभ कुछ हुआ नहीं।

यात्रा की कहानी में बसपा पीछे नहीं छूटना चाहती। मायावती अपनी तरह से सभायें करने में व्यस्त हैं। हालांकि सर्वे में उन्हें पहले स्थान से दूसरे या तीसरे स्थान पर आना पड़ा है, मगर वे हर जगह कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं। मतलब यह कि मायावती मुख्यमंत्री की रेस में पीछे नहीं हैं।

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मुलायम सिंह यादव की संदेश यात्रा शुरु हुई है जिसमें समाजवादी पार्टी की विकास योजनाओं को जनता तक पहुंचाया जायेगा। यह यात्रा चार चरणों में होगी। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में घूमकर सपा प्रमुख सपा की अच्छी बातों को जनता को समझायेंगे। अखिलेश यादव और उनके नेता भी यात्रा में निकलेंगे।

कहने को सियासी यात्रायें जनता को समझाने के लिए हैं, अपने पक्ष में करने के लिए हैं और उन्हें यह भी प्रेरणा देने के लिए हैं कि दूसरे दल क्या कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश की सियासत इस समय यात्राओं के सहारे है। जो विकास की बात चुनाव के समय कही जाती है, वह पूरी होती नहीं, या अधूरे वायदे होते हैं। जनता दलों को मौके-मौके पर सबक सिखाती रहती है। सपा, भाजपा, बसपा, कांग्रेस जैसे दल राजनीतिक तौर पर अपनी बात रख रहे हैं। लोग अभी सोच-विचार में लगे हैं और समय आने पर अपनी इच्छा व्यक्त भी कर देंगे।

-मोहित सिंह
(ये लेखक के अपने विचार हैं)


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उत्तर प्रदेश में सियासी यात्रायें कितनी कारगर होंगी? उत्तर प्रदेश में सियासी यात्रायें कितनी कारगर होंगी? Reviewed by Gajraula Times on September 10, 2016 Rating: 5
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