उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब हैं। समय तेजी से दौड़ रहा है, और उसी तरह यहां पार्टियों से नेता भी एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं। यह बताता है कि यहां सबकुछ ठीक नहीं है। एक पार्टी आज अच्छी है, क्या पता कल वह बुरी लगने लगे। ऐसा इसलिए क्योंकि जो पार्टी छोड़ी गयी है वह पहले उनकी चहेती हुआ करती थी। समय बदला, राजनीतिक समीकरण भी, फिर नेता क्यों एक ठिकाने पर टिके रहें। मौका देखा और दल बदल लिया। यह कहलाती है असली राजनीति!
बसपा के कद्दावर नेता और मायावती के बाद दूसरे नंबर पर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने पुराने बंधनों को तोड़कर भाजपा को खुशी का मौका दिया। उधर मायावती को मायूसी का एहसास कराने वाले मौर्य ने उन्हें पैसे की देवी कहा और जमकर आलोचना की। बसपा सुप्रीमो ने भी मौर्य को आड़े हाथों लेकर यह बताया कि उनका कद बसपा में ही था, भाजपा में वे कहीं के नहीं रहने वाले।
बीते बुधवार को कांग्रेस के तीन विधायक और सपा के एक विधायक बसपाई बने। भाजपा के एक पूर्व मंत्री भी बसपा में पहुंचकर खुद को सम्मानित महसूस करने लगे। लेकिन इनका भविष्य कितना सम्मानित और सुरक्षित होगा, वह पता नहीं। यह उस तरह हो सकता है जैसे उत्तराखंड में कांग्रेस के बागी भाजपा में पहुंचे। आज उनकी भाजपा में उतनी पूछ नहीं। ऐसा लगता है जैसे वे दोनों पार्टियों के बीच में फंस कर रह गये हैं।
गुरुवार को भाजपा में कांग्रेस के तीन विधायक शामिल हुए। बसपा के तीन और सपा के एक विधायक भी भाजपा में पहुंच गये। लगातार दो दिन में कांग्रेस के 6 विधायक पार्टी छोड़ गये। भाजपा ने सपा और कांग्रेस के विधायकों को सदस्यता दिलाई जो अपनी-अपनी पार्टियों के विरोध में क्रास वोटिंग कर चुके थे। मतलब ये नेता पार्टी से बाहर ही थे।
भाजपा और बसपा खुश है कि उनके पास दूसरे दलों के नेता दौड़े चले आ रहे हैं। दोनों पार्टियों को लगता है कि मुकाबला उनके पक्ष में रहेगा। उनकी जीत पक्की है। वहीं सपा पूरे भरोसे के साथ मैदान में है। जब सरकार अपनी होती है तो ऐसा लगना लाजिमी है कि अगली बार भी वे ही राज करेंगे। कांग्रेस उथलपुथल को दोनों आंखें खोलकर देख रही है।
-अमित कुमार.
यूपी की सियासी उथलपुथल : भाजपा और बसपा में भाग रहे नेता
Reviewed by Gajraula Times
on
August 12, 2016
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