अमरोहा जनपद में सत्ताधारी पार्टी के कद्दावर नेताओं की मौजूदगी तथा सभी विधानसभा सीटों पर कब्जे से अमरोहा जिले की चार वर्षों में कायापलट हो जानी चाहिए थी। गांव और शहर समस्याविहीन होने चाहिए थे, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन तथा बिजली से संबंधित समस्याओं का निदान हो जाना चाहिए था। तहसीलों तथा खंड विकास कार्यालयों में आम आदमी का काम बिना दिक्कत और बिना रिश्वत के होना चाहिए था। आपसी सौहार्द और सामंजस्य मजबूत होना चाहिए था। लूट, चोरी, डकैती और हत्याकांडों में बहुत कमी हो जानी चाहिए थी। उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत से सत्ता में आयी सपा सरकार छह माह में कार्यकाल पूरा कर लेगी। क्या जनता की उपरोक्त अपेक्षायें पूरी हुईं? यदि नहीं हुईं तो क्यों नहीं हुईं? इसका जबाव जनता चुनाव में सपा से मांगने की हकदार है, उसे सही जबाव नहीं मिलने वाला, जनता इसे सबसे बेहतर जानती है इसीलिए वह सपा को उसके पांच वर्षों तथा केन्द्र की भाजपा को उसके ढाई साल के लेखे-जोखे का हिसाब विधानसभा चुनाव में चुकता करने जा रही है।
जनता पांच साल का हिसाब दो कैबिनेट मंत्रियों महबूब अली और कमाल अख्तर, विधायकों एम. चन्द्रा और अशफाक खां, कथित राज्यमंत्रियों, मौलाना आब्दी, मनवीर सिंह चिकारा आदि सपा दिग्गजों से इस चुनाव में मांगने को तैयार बैठी है।
आयेदिन इन सपा नेताओं के बयान आते रहते हैं कि सपा राज में विकास की गंगा बह रही है। एक तरह तो ये लोग ठीक कह रहे हैं क्योंकि इन लोगों के घरों में इस अंतराल में वाकई खुशहाली आ गयी है। लोगों का कहना है कि नेताओं के पास सत्ता के बल पर अकूत संपत्ति और समृद्धि आ गयी है। वे विकास की गंगा में डुबकियां लगा रहे हैं। ऐसे में उनके लिए सपा राज में वास्तव में विकास की गंगा बह रही है जबकि आम आदमी की समस्यायें इस दौरान घटने के बजाय बढ़ गयी हैं। तहसील-कचहरियों में व्याप्त भ्रष्टाचार का रोना आम आदमी ही नहीं बल्कि कई बार वकीलों को भी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ना पड़ा है।
वन और तालाबों पर कब्जा करने वालों को भी इन नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। अवैध खनन बदस्तूर जारी है। प्रतिबंधित पशुओं का वध धड़ल्ले से जारी है। पशु तस्करों को पुलिस पकड़ती भी है लेकिन वह भी सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में कई बार हथियार डाल जाती है। बिना मजबूत पैरोकार के सुनवाई नहीं हो रही। किसानों को बिजली, पानी और गन्ना भुगतान को धरने, प्रदर्शन करने पर भी राहत नहीं।
अमरोहा, हसनपुर तथा धनौरा जैसे नगरों में जहां नेताओं का जमघट है, जलभराव, सड़क जाम, और बिजली आदि की समस्यायें हैं।
वर्षों से जिन नेताओं को जनता झेलती आ रही है, जल्दी ही उनसे हिसाब चुकाने का मौसम आ रहा है। इसलिए जनता हिसाब करने को तैयार है। चुनाव में वह फैसला सुनायेगी।
-जी.एस. चाहल
नेताओं से हिसाब चुकता करने को तैयार है जनता
Reviewed by Gajraula Times
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August 23, 2016
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