यदि बसपा सुप्रीमो मायावती और उनके सलाहकारों ने उत्तर प्रदेश के ताजा साम्प्रदायिक उतार-चढ़ाव की उचित परख करने में चूक की तो, उसके पक्ष में बने जातीय और धार्मिक समीकरण उलट जायेंगे तथा बसपा के हाथ से विजयी रुझान फिसल जायेगा। ताजा आंकड़े बसपा को भाजपा और सपा से प्रदेश में मजबूत मान रहे हैं।
इस समय दलित मतदाता एकजुट होकर बसपा के साथ खड़ा हो गया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में इस वोट बैंक का अहम रोल था। भाजपा के दयाशंकर द्वारा मायावती पर अभद्र टिप्पणी और गुजरात में दलित उत्पीड़न ने दलितों के उन लोगों को भी बसपा से जोड़ दिया जो भाजपा के साथ थे। उत्तर प्रदेश में इससे भाजपा को बड़ा धक्का लगा। इससे जहां बसपा को एक लाभ हुआ, वहीं दूसरी ओर पिछड़े तथा सवर्ण समुदाय में उसे इससे घाटा होना शुरु हुआ है। इसके पीछे दो कारण हैं, पहला उन्हें बसपा राज में दलितों द्वारा एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग और दूसरा सपा की तरह मायावती का बार-बार नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बढ़ावा देकर मुस्लिम तुष्टीकरण की ओर झुकाव। इससे मायावती, सपा के मुस्लिम मतों में सेंधमारी का प्रयास कर रही हैं। ऐसा करने से सपा के वोट बैंक में बसपा को कामयाबी मिलेगी, इसपर संदेह है लेकिन यह निसंदेह है कि उनके मुस्लिम झुकाव को सवर्ण व पिछड़े हिन्दू समझ गये हैं और उनका झुकाव तेजी से भाजपा की ओर होना शुरु हो गया है।
मायावती इसे भले ही न समझें लेकिन भाजपा भांप गयी है। वह इसी लिए दलित मतों को फुसलाने के बजाय अपने सवर्ण और पिछड़े वर्ग के मतों को अपने साथ जोड़े रखने का प्रयास कर रही है। इसका मौका दलित-मुस्लिम गठबंधन के सुर ने और पुख्ता कर दिया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में बसपा, भाजपा के लिए विजय रथ तैयार कर रही है।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
जीती बाज़ी हारने की ओर बढ़ रही बसपा
Reviewed by Gajraula Times
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August 26, 2016
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