साध्वी प्राची को लगता है कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। वे योगी की वकालत बहुत जोरशोर से कर रही हैं। वे भी सोच रही हैं कि प्रदेश में योगी जैसे व्यक्ति को कमान सौंपी जाये तो यहां साधु-संतों की सत्ता आ जायेगी। वे खुद साध्वी हैं, इसलिए योगी की वकालत बनती है।
अभी योगी इस सवाल पर चुप हैं। भाजपा में कई ऐसे लोग हैं जो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। एक योगी नहीं, यहां अनेक योगी हैं जो उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
पुराने और बूढ़े नेता तो मन मसोसने में लगे हुए हैं। उनके पास कहने और करने को कुछ बाकी नहीं है। भाजपा ने बजुर्गों को किनारा करने के लिए लालकृष्ण आडवाणी से शुरुआत कर ही दी थी। अब मध्य प्रदेश के बाबू लाल गौर उम्रदराजी की लिस्ट में सबसे उच्च स्थान पर बैठा दिये गये।
साध्वी प्राची के बयानों से उत्तर प्रदेश की जनता पर कोई खास असर हो न हो, लेकिन यहां के साधू-संत जरुर दबे मन से साध्वी की तारीफ कर रहे होंगे.
उत्तर प्रदेश में भाजपा में कई नेता भीतर-भीतर सपनों की दुनिया में विचरण कर सकते हैं और शायद उनके मन में लड्डू भी फूट रहे हों। अमित शाह यदि कोई बयान देते हैं तो ऐसे नेताओं को शुभ संकेत की आस लग जाती है। जबकि राजनीति तौर पर यह कहना मुश्किल है कि यहां मुख्यमंत्री बाहर से थोपा जायेगा या मामला कुछ अलग होगा।
साध्वी प्राची की आवाज शायद दब सकती है। योगी आदित्यनाथ के बयान भड़काने वाले आते रहे हैं। विपक्ष उसे लेकर भाजपा को घेरने की हर बार असफल कोशिश करता रहा है। मीडिया में चर्चा में आने के लिए योगी के पास कई फ़ॉर्मूले हो सकते हैं लेकिन तीखी बयानबाजी सबसे अहम हो जाती है।
खासकर आजम खान और योगी आदित्यनाथ का वाकयुद्ध सबसे अधिक चर्चित रहा था पिछले दिनों।
प्राची ने हिन्दुओं की विषम परिस्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि इतने कांड हो गये, योगी हर बार तत्परता के साथ खड़े दिखाये दिये हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि योगी जरुरी है, उत्तर प्रदेश की मजबूरी है।
एक बात तय हो चुकी है कि भाजपा चाहें साधू-संतों के बयानों पर यकीन करे न करे, भाजपा को उनसे राजनीतिक लाभ मिलने की बात विपक्षी दल कहते सुनाई देते हैं। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण एक ऐसा मुद्दा है जिसे हवा देने के लिए सियासी घमासान में भाजपा सबसे आगे रहती है। इसलिए योगी जैसे लोगों का नाम चर्चा में लाना मजबूरी भी मालूम पड़ता है।
-एमएस चाहल.
(ये लेखक के निजि विचार हैं)
उत्तर प्रदेश चुनाव : सियासत जरुरी है इसलिए योगी की चर्चा मजबूरी है
Reviewed by Gajraula Times
on
July 03, 2016
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