लगता है देश का सबसे बड़ा महकमा रेलवे सरकार से नहीं सभल पा रहा। दूसरी ओर सरकार हाई स्पीड, सुपर हाई स्पीड तथा बुलेट ट्रेन तक के सपने जनता को दिखाकर अपनी चतुराई की डींग मार रही है। घाटे का रोना रोकर उत्तर प्रदेश में कई पैसेंजर ट्रेनों के फेरे कम कर दिये और उनके फेरे और भी कम किये जाने की बात की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि ब्रांच लाईनों पर चलने वाली ट्रेनों का खर्चा अधिक पड़ रहा है। इसके विपरीत आय बेहद कम हो रही है। फेरे कम करके खर्च कम किया जायेगा। इससे भी बात नहीं बनेगी तो फेरे और भी कम किये जायेंगे यानि ये ट्रेनें हफ्ते में चार दिन बंद रखी जा सकती हैं। अभी हफ्ते में दो दिन बंद किया जा रहा है।
उत्तर रेलवे ने बरेली-अलीगढ़, गजरौला-मुरादाबाद और ऋषिकेश-हरिद्वार पैसेंजर ट्रेनों को शनिवार और रविवार को नहीं चलाने का फैसला लागू कर दिया है। ये सभी ट्रेनें सप्ताह में केवल पांच दिन ही चलेंगी। एडीआरएम संजीव मिश्रा का कहना है कि खर्चा कम करने के लिए सप्ताह में चार दिन भी बंद रखा जा सकता है। यानि सप्ताह में मात्र तीन दिन ही ये ट्रेन चलाने की नीति तैयार कर ली गयी है।
इन सभी गाड़ियों में ग्रामीण, मजदूर और गरीब लोग यात्रा करते हैं। उनके लिए सस्ती यात्रा को ध्यान में रखकर ये गाड़ियां चलायी जा रही हैं। आम आदमी की इन ट्रेनों में भारी भीड़ रहती है। त्योहारों आदि विशेष मौकों पर लोग इन ट्रेनों की छतों तक पर बैठने को मजबूर हो जाते हैं। मोदी सरकार के सत्ता संभालते ही सबसे पहले ट्रेन किराया बढ़ाया गया था। कहा गया था, रेलवे में सुधार उसकी आय बढ़ाने से ही हो सकता है। रेलवे में सुधार उसके बाद दो वर्षों में भी नहीं हुआ। आयेदिन रेल दुघर्टनायें हो रही हैं। ट्रैक चटकने और पटरी से डिब्बे उतरने के मामले अधिक हो रहे हैं। पिछले दिनों गढ़मुक्तेश्वर में इसी कारण हुई दुघर्टना से एक्सप्रेस ट्रेन गंगा में समाने से बाल-बाल बची थी। सुरेश प्रभु के रेल मंत्री बनने के बाद से वास्तव में यह विभाग प्रभु कृपा पर ही निर्भर है।
ट्रेनों में हालात ख़राब हैं और महकमे ने यात्री सुविधाओं के नाम पर कुछ किया नहीं. |फोटो साभार : बीडी मिश्रा.
बीते दो वर्षों में डीजल की कीमतें विश्व बाजार में बेतहाशा गिरने के कारण डीजल चालित इंजनों वाली ट्रेनों का खर्च कम हो जाना चाहिए था। जो ट्रेनें रद्द की जा रही थीं, ये डीजल चालित हैं। किराया बढ़ाने और ईंधन सस्ता होने पर इनका लाभ बढ़ना चाहिए था, जबकि रेलवे के अधिकारी कह रहे हैं कि इन ट्रेनों से रेलवे को घाटा हो रहा है। यदि अधिकारियों का दावा सच मान लिया जाये, तो इससे तो यही सिद्ध होता है कि उत्तर रेलवे में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। इस विभाग का प्रबंधन और रखरखाव प्रभु कृपा के भरोसे है। जबकि कहा गया था और आज भी दावे किये जा रहे हैं कि केन्द्र सरकार ने भ्रष्टाचार समाप्त कर दिया है।
कितनी मजेदार बात है कि केन्द्र की ओर से बार-बार दावे किये जा रहे हैं कि सरकार गांव, गरीब और मजदूर के लिए काम कर रही है जबकि हवाई यात्राओं में सब्सिडी दी जा रही है और इन वर्गों के लिए चल रही ट्रेनों तक का संचालन रद्द किया जा रहा है।
इसी साल यूपी के गढ़मुक्तेश्वर में ट्रैक चटकने से एक्सप्रेस ट्रेन गंगा में समाने से बाल-बाल बची थी.
सावन माह में हरिद्वार तथा ब्रजघाट से गंगा जल लेकर लोग शिव का जलाभिषेक करते हैं। रद्द की जा रही इन पैसेंजर ट्रेनों में गजरौला मुरादाबाद तथा अलीगढ़ तक के लोग भारी संख्या में इस मौके पर सफर करते हैं। उनके लिए यह सर्वसुलभ और किफायती साधन है। सोमवार को जलाभिषेक होता है और शनि और रविवार में अधिकांश लोग जल लेकर अपने घर लौटते हैं। उसी दिन ये सभी ट्रेनें बंद रहेंगी। धन्य है भगवा सरकार की उपाधि प्राप्त सरकार जो अपने आराध्य के जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं के मार्ग में बाधा उत्पन्न करने हेतु इन ट्रेनों को रद्द करने जा रही है। जबकि इस मौके पर तो विशेष ट्रेनें चलायी जानी चाहिए थीं।
केन्द्र सरकार यह भी विचार कर रही है कि रेल बजट अलग से बनाने की नीति रद्द कर आम बजट में उसे शामिल किया जाये। इससे तो यह सबसे बड़े बजट का विभाग और भी खतरे में पड़ जायेगा। लगता है वित्त मंत्रालय और रेलवे दोनों ही रेलवे की आर्थिक व्यवस्था को नहीं संभाल पा रहे तथा रेल मंत्री सुरेश प्रभु की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है?
-जी.एस. चाहल.
गांव, गरीब और मजदूर की रेल रोक रही सरकार
Reviewed by Gajraula Times
on
July 19, 2016
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