बिहार की राजनीति रोचक होती जा रही है। आने वाले दिनों में वहां नया मोड़ दिखाई दे सकता है। दोस्ती दुश्मनी में बदल सकती है, तो दुश्मनी दोस्ती में भी बदल सकती है। जब नीतीश लालू एक हो सकते हैं तो मांझी वापसी क्यों नहीं कर सकते। इन्हीं उलझे हुए सवालों का जबाव शायद बिहार की राजनीतिक जमीन पर जल्द मिल सकता है।
जीतन राम मांझी आजकल नीतीश कुमार की तारीफ करने में जुटे हुए हैं। इसे एक अलग तरह का संकेत माना जा रहा है। ऐसा संकेत जिससे बिहार में नीतीश कुमार की ताकत और बढ़ सकती है।
मांझी ने साफ किया कि राजनीति में संभावनाये होती हैं। शायद उन्हें झटका लगने के बाद यह समझ आया है या वे स्वयं अब भाजपा के साथ दोस्ती के बाद का स्वाद चखने के बाद वापसी करने के मूड में हैं। उनकी नाव वापस नीतीश की ओर मुड़ रही है।
जीतन राम मांझी ने कहा कि जब नीतीश लालू के साथ जा सकते हैं तो उनका दोनों से मतभेद नहीं रहा। नीतीश राजनीति से सन्यास लेने की बात करते थे, लेकिन लालू के साथ नहीं जाना चाहते थे जबकि वे पहले साथ थे। बाद में दोनों साथ आ गये और बिहार जीत लिया।
राजनीतिक संकेत समझने वाले समझ गये कि जीतन का मन नीतीश के साथ जाने का कर रहा है। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि नीतीश और लालू की जोड़ी आने वाले समय में और मजबूत होगी। सत्ता का सुख मांझी मुख्यमंत्री बनकर पहले ही देख चुके हैं। वैसे भी ज्यादा दिन सत्ता से दूर रहना किसे भाता है।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
बिहार में रोचक राजनीतिक संकेत: मांझी की नाव फिर से नीतीश की ओर मुड़ रही है
Reviewed by Gajraula Times
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July 03, 2016
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