भारतीय जनता पार्टी के लिए वरुण गांधी का नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर उछाला जाना समस्या बन सकता है। रविवार को इलाहबाद में शुरु हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर मंथन कर रही है।
भाजपा जल्द उत्तर प्रदेश की हर विधानसभा में सर्वे करायेगी. उसके बाद ही सीएम उम्मीदवार का फैसला होगा, लेकिन लगता नहीं कि वरुण गांधी समर्थक इससे सहमत होंगे. वे खुलकर सामने आये हैं वरुण के पोस्टरों के द्वारा.
उससे पहले योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने भी योगी का नाम उछाला था जो आजतक जारी है। भले ही राजनाथ सिंह ने स्वयं यह कह दिया हो कि जो पार्टी तय करेगी वह नाम सीएम पद के लिए आगे किया जायेगा। चेहरा कोई भी हो सकता है, यह अब भाजपा का सर्वे तय करेगा।
उधर वरुण गांधी को लेकर पार्टी में कहीं न कहीं बेचैनी भी है। वह हालांकि साफ न दिखाई दे मगर अंदरखाने भाजपा के रणनीतिकार यह समझ रहे हैं कि वरुण का समर्थन किस हद तक है। यदि उन्हें बिना सर्वे भी सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया तो उनके समर्थक खुश हो जायेंगे। इससे भाजपा का युवा वोटर उत्साहित होगा ऐसा युवाओं के उनके प्रति पिछले कुछ सालों के समर्थन को देखकर कहा जा सकता है।
भाजपा में सर्वे का आधार जातीय समीकरण होने की उम्मीद है। दूसरा यह कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने दो साल में कितना काम किया। उसका असर जनता पर कितना और किस तरह हुआ, यह देखा जायेगा।
यदि वरुण के समर्थकों की बात की जाये तो उनकी संख्या बढ़ती जा रही है. वरुण गांधी का इसपर कोई बयान नहीं आया है. हालांकि वे भी इसपर विचार कर रहे होंगे.
राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपने की तैयारी चल रही है। तबतक भाजपा मंथन में जुटी है। भाजपा का इस बार मिशन 265 होगा।
माना जा रहा है कि भाजपा को सबसे बड़ी चुनौती सपा और बसपा से मिलेगी। पूर्व में जिस तरह सर्वे खुलेआम कह रहे थे कि बसपा की सरकार उत्तर प्रदेश में बन रही है, उसे लेकर भी भाजपा काफी गंभीर है। वह हर कदम सोच समझकर रख रही है। वह नहीं चाहती कि बड़े प्रदेश में उसे नुकसान हो।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
वरुण गांधी से भाजपा में बेचैनी?
Reviewed by Gajraula Times
on
June 12, 2016
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