उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल चरम पर पहुंचता जा रहा है। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी माहौल की गरमी को बढ़ाने में लगे हुए हैं, जबकि बसपा और कांग्रेस के तेवर उस तरह के नहीं नजर आ रहे जैसे होने चाहिएं। खासकर कांग्रेस तो मानो अभी सोयी हुई दिख रही है। उसमें जोश की कमी नजर आ रही है। ऐसा लगता है कि उसका मन अभी चुनाव में नहीं है। वह कहीं ओर देख रही है। उसकी सोचने और समझने की शक्ति का पता नहीं कहीं ह्रास हो गया लगता है।
अमित शाह का उत्साह देखते ही बनता है, लेकिन जो सवाल लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रह गये थे उनका उत्तर भी शायद फिलहाल उनके पास भी नहीं है। वे जुमलों को अच्छी तरह से समझते हैं। जनता भी उनके जुमलों को समझ रही है। यानि दोनों ओर मामला बराबर नजर आता है। काला धन जैसे मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जरुर पिछले साल की तरह इस बार भी साल के आखिर तक उन लोगों को चेतावनी दे रहे हैं जिनके पास काला धन है।
समाजवादी पार्टी कानून व्यवस्था को लेकर शुरु से ही घिरी हुई है. उनके पास ऐसा कोई जबाव नहीं है जो वे ठीक तरह से जनता को देकर समझा सकें कि उन्होंने प्रदेश में कानून व्यवस्था दुरुस्त कर दी है. भाजपा और बसपा उन्हें इस मुद्दे पर घेरने में सफल रहे हैं. आगे भी वे अपने हमले इसी तरह जारी रखेंगे.
बसपा से स्वामी प्रसाद मौर्य के जाने के बाद थोड़ी शांति छाई हुई है। ऐसा लगता है जैसे कुछ टूटा है। ऐसा भी लगता है जैसे रणनीति में कुछ ढीलापन आया है। मायावती को पूरा भरोसा है कि चुनाव उनके हाथ से नहीं छिटका है। वे इस बार अलग रणनीति के साथ मैदान में हैं।
कांग्रेस को उनके हाल पर छोड़ा नहीं जा सकता क्योंकि उनकी तैयारी जैसी भी है, भीतर-भीतर जारी है।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
सपा-भाजपा और माहौल की गर्मी
Reviewed by Gajraula Times
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June 27, 2016
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