दावों और वादों की सियासत जारी

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उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। अभी तक सबसे ज्यादा तेजी भारतीय जनता पार्टी ने दिखाई है, लेकिन समाजवादी पार्टी उससे पहले से चुनावी प्रचार कर रही थी। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती बीच-बीच में मीडिया से मुखातिब होती रहती हैं। इससे लगता है कि बसपा जो पहले किसी चीज का इंतजार कर रही थी, अब समय की नजदीकी के बाद सक्रिय होती जा रही है। वो अलग बात है कि उसके सदस्य पहले से ही गांव-गांव जाकर अपनी भूमिका निभा रहे थे। रही बात कांग्रेस की तो उसने अपनी रणनीति सार्वजनिक नहीं की है और न वो ऐसा अभी करने वाली। पार्टी सोच-समझकर फैसला लेने की बात कर रही है। इस कारण उत्तर प्रदेश की टीम में बदलाव होने वाले हैं।

भाजपा की टीम भी बदलने वाली है। कुछ बातें पिछले दिनों हुई कार्यकारिणी की बैठक में साफ हो गयीं कि पार्टी मंथन कर रही है। भाजपा चाहती है कि इस बार अभियान उसी तरह लड़ा जाना चाहिए जिस तरह लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के कुछ अहम मुद्दों को उठाया गया था। वैसे भी पार्टी को बैठे-बिठाये कैराना मिल गया है। उधर दादरी कांड की आग ठंडी तो हो गयी है, मगर बीच-बीच में उसकी राख को कुरेदने की तैयारी की जाती रही है। विपक्ष का आरोप भाजपा पर लगता है कि वह साम्प्रदायिक बीज बोकर राजनीति कर रही है।

भाजपा का मिशन 265 अपने भरोसे पर कितना खरा उतरता है, यह समय बतायेगा लेकिन पार्टी की तैयारी और प्रदेश में सपा की गिरती साख को देखकर लगता है कि भाजपा कड़ा मुकाबला करेगी. बसपा से उसे खतरा हो सकता है जैसाकि पिछले दिनों आये सर्वे साफ कर चुके हैं

लेकिन भाजपा किसे चेहरे के रुप में प्रस्तुत करेगी इसपर स्थिति स्पष्ट होने में समय लग सकता है या ऐसा भी हो सकता है कि पार्टी ऐसा नहीं करे।

कांग्रेस के लिए मुश्किल घड़ी तो है, लेकिन जो विश्वास उन्हें प्रशांत किशोर से मिल रहा है वह अलग विषय कहा जा सकता है। क्योंकि विश्वास मात्र से चुनाव नहीं जीता जाता। चुनाव के लिए रणनीति बनानी पड़ती है जिसका कांग्रेस के पास अभाव है। उसे पूरा करना शायद उत्तर प्रदेश में प्रशांत किशोर के बस से बाहर की बात हो सकती है। यहां के हालात बिहार जैसे नहीं हैं।

कुल मिलाकर चुनावी माहौल दिलचस्प होता जा रहा है। यहां वादों और दावों पर यकीन करने और न करने के लिए जनता बैठी है जिसकी मोहर से अगला मुख्यमंत्री बनेगा।

-पॉलिटिक्स ब्यूरो.

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दावों और वादों की सियासत जारी दावों और वादों की सियासत जारी Reviewed by Gajraula Times on June 18, 2016 Rating: 5
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