सोशल मीडिया पर लड़ाई और झगड़े आम बात है, लेकिन जब सरकारों के मंत्री आपस में अपनी-अपनी मयान से तलवारें निकाल कर युद्ध करें तो बात हैरान करती है। बच्चों की तरह झगड़ना क्या दर्शाता है, यह समझ से परे है। इससे क्या सरकार के मंत्री अपनी हैसीयत स्पष्ट करने की कोशिश कर रहे थे, यह भी समझ नहीं आया। समझ यह जरुर आया कि किस तरह दो नेता अपनी खून को खौला रहे थे और सोशल प्लेटफॉर्म को उस घास या बे-घास के मैदान की तरह समझ रहे थे जहां वे झगड़ रहे थे।
अशोक चौधरी बिहार के शिक्षा मंत्री हैं। उन्होंने केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी को ट्विटर पर लिखा -'डियर स्मृति जी, कभी राजनीति और भाषण से वक्त मिले तो शिक्षा नीति की तरफ भी ध्यान दें।’
उधर से स्मृति ईरानी का जबाव आया -'महिलाओं को डियर कह के कबसे संबोधित करने लगे अशोक जी?’
अशोक चौधरी ने स्मृति ईरानी के जबाव में लिखा -'आपका अपमान करने के लिए नहीं, बल्कि सिखाने के लिए बता रहा हूं. पेशेवर इमेल डियर से शुरु होते हैं. स्मृति जी कभी मुद्दे पे जबाव दीजिये, घुमाईये मत.’
बाद में दूध का दूध और पानी का पानी की बात चल निकली। ट्विटर पर यह लड़ाई काफी देर तक चली। उसके बाद जो महारथी पहले से दूसरों के ट्वीट पर हमला करने बैठे होते हैं, उन्होंने स्मृति पर हमला बोला।
एक अकाउंट से लिखा गया -'मैडम 12वीं के आगे पढ़े होते तो पता चलता कि पेशेवर और ऑफिशियल पत्र कैसे लिखे जाते हैं।’
अशोक चौधरी को भी लिखा गया कि वे थोड़ी तमीज सीख लें। स्मृति ईरानी के ट्वीट से सीख लें कुछ।
एक अकाउंट से ट्वीट हुआ -'यदि आप (स्मृति ईरानी) कॉलेज या विश्वविद्यालय गयी होतीं तो आपको पता होता कि लोगों को डियर कहना सामान्य बात है।’
जबाव में स्मृति ईरानी ने लिखा -'ग्रामर ठीक करो बेटा।’
यह ट्वीट वाली जंग राजनीति में नई नहीं है। इससे पहले भी जुबानें लड़ी हैं, शब्दों को लिख-लिखकर।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
'ग्रामर ठीक करो बेटा’
Reviewed by Gajraula Times
on
June 14, 2016
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