महंगायी कम नहीं हो रही। आम आदमी की जेब पर जो डाका डाला जा रहा है, उससे वह टूटने को तैयार है। महंगी होती चीजों का बोझ उसपर ऐसा पड़ता जा रहा है कि वह बोझ उठाता हुआ खुद को जमीन में धंसता हुआ पा रहा है। महंगाई ने आम आदमी को मार डाला है। वह तिल-तिलकर मरने को मजबूर है। सरकार ने 2014 से ही देश की जनता से अच्छे दिन के वादे किये हुए हैं, उन्हें साकार होते हुए देखना हर किसी का सपना है। वादे और इरादे करके सत्ता में मौजूद नरेन्द्र मोदी की सरकार दो साल पूरे करने के जश्न में डूबी है। ऐसा लगता है कि जश्न और उल्लास के चक्कर में वह उस जनता को भूल गयी है जिसने उसे यहां तक पहुंचाया।
1 जून 2015 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 115 डॉलर प्रति बैरल था. उस समय भारत की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 72 रुपये प्रति लीटर थी.
बड़ी गिरावट जनवरी 2016 में दर्ज की गयी जब तेल के दाम 30 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गये। राजधानी में पेट्रोल के दाम तब भी 60 रुपये प्रति लीटर रहे.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल फिर से बढ़ना शुरु हुआ है। माना जा रहा है कि उसमें मजबूती आती रहेगी। सरकार ने कच्चे तेल की कीमत बढ़ने पर तेल के दाम बढ़ाये। 2015 के अक्टूबर में सरकार द्वारा पेट्रोल पर प्रति लीटर करीब 9 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगती थी जिसे 2016 की जनवरी तक 20 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया। उसी तरह डीजल पर भी एक्साइज ड्यूटी 3 रुपये प्रति लीटर से बढ़ा कर 16 रुपये कर दिया गया। इसका सीधा असर दूसरे उत्पादों पर भी पड़ा। किसी भी अर्थव्यवस्था में चीजों जुड़कर चलती हैं। एक चीज महंगी होगी तो उसका असर दूसरी पर पड़ेगा। महंगायी कम होने का शोर करने वाली सरकार खुद महंगायी से लोगों को लड़ने के लिए छोड़ चुकी है। सरकार अपना खजाने में कमी नहीं आने दे रही। इसी तरह टैक्स आदि बढ़ते रहे तो आम आदमी का दिवाला निकल जायेगा।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
सरकार, तेल और महंगायी की मार
Reviewed by Gajraula Times
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June 02, 2016
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