कैराना का मुद्दा थमा नहीं है। उसपर सियासी दलों में अपनी-अपनी तरह से बयान देने का दौर जारी है। भारतीय जनता पार्टी के सांसद हुकुम सिंह ने एक सूची जारी कर दावा किया था कि कैराना कस्बे से 346 लोगों ने पलायन किया है। वहां डर का माहौल है और लोग उस कारण कस्बा छोड़कर जा रहे हैं। बाद में उन्होंने दूसरी सूची जारी की जिसमें 63 लोगों के नाम हैं जो कांधला से पलायन कर चुके हैं।
कैराना की असलियत जानने के लिए तमाम मीडिया चैनलों में होड़ लग गयी थी। हकीकत पता चलने के बाद हुकुम सिंह ने अपना बयान बदल दिया था। उनके द्वारा दी गयी सूची में वे लोग भी शामिल थे जो या तो बहुत पहले कैराना छोड़कर जा चुके या वे जीवित नहीं थे। पहले जहां कुछ ओर कहा जा रहा था, बाद में हुकुम सिंह ने कहा कि पलायन करने वालों में कुछ मुसलमान भी थे।
अब हुकुम सिंह कांधला का जिक्र छेड़ बैठे हैं। लेकिन सवाल यह है कि जितने लोगों ने भी पलायन किया है, क्यों किया है? इसमें प्रदेश सरकार और वहां के मौजूदा सांसद कितने जिम्मेदार हैं? उन्होंने इस मसले पर पिछले सालों में क्या किया?
सिर्फ चर्चा करने से काम नहीं चलता, ठोस कदम भी तो उठाने पड़ते हैं।
मायावती ने भाजपा पर साम्प्रदायिक रंग देने के आरोप लगाये तो वहीं समाजवादी पार्टी ने भी उसी तरह के आरोप लगाये.
हिन्दू और मुसलमान दोनों ने ही पलायन किया है। हालांकि यह संख्या उससे काफी कम है जो हुकुम सिंह बताते फिर रहे हैं। भय का माहौल है, यह बात साबित हुई है। रोजगार के साधन नहीं हैं, यह भी गलत नहीं।
अभी राजनीतिक रंग बहता हुआ कैराना से कांधला तक पहुंचा है। हैरानी नहीं होनी चाहिए कि यह दूसरी जगह तक भी पहुंचे?
-मोहित सिंह.
कैराना से कांधला तक
Reviewed by Gajraula Times
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June 14, 2016
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