आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव कांग्रेस की परीक्षा का समय होगा। अभी तक पार्टी उत्तर प्रदेश में बदहाल रही है। उसके पास इतना दम नहीं है कि वह क्षेत्रीय दलों को टक्कर दे सके। जबकि भाजपा ने उसे बीते लोकसभा चुनाव में पस्त किया था। विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की स्थिति उतनी अच्छी नहीं रही है।
लगातार ढलान से गिरती जा रही कांग्रेस के पास रणनीति का अभाव मालूम पड़ता है. वह बदलाव की ओर देख रही है, लेकिन पिछले दिनों कुछ अदला-बदली से आने वाले समय में कितना प्रभाव पड़ेगा, यह खुलकर कहना मुश्किल है
उधर बार-बार प्रियंका गांधी की चर्चा की जा रही है। उनपर दांव लगाया जा सकता है। उनकी अगुवाई में विधानसभा का चुनाव लड़ना कांग्रेस को नुकसान वाला सौदा नहीं होगा, लेकिन क्या ऐसा हो सकता है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा हो सकता है, बशर्ते इसके लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित अन्य वरिष्ठ नेता एकमत हों।
कांग्रेस रणनीति बनाने में पिछले कई सालों से असफल रही है। उसके पास कुशल रणनीतिकार हैं, लेकिन पता नहीं क्यों वे सही समय पर सही पत्ता फेंक पाने में असमर्थ रहते हैं।
उधर भाजपा ने अपनी रणनीति कई तरह से विकसित कर ली है। वह साम्प्रदायिक मुद्दों को अपने तरीके से उठाकर चुनाव की तैयारी करने से पीछे नहीं हटती। विपक्ष इसे भाजपा की वास्तिवक रणनीति करार देता है।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
रणनीति के फेर में उलझी कांग्रेस
Reviewed by Gajraula Times
on
June 18, 2016
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