एफडीआई को कई क्षेत्रों में सौ प्रतिशत करने पर भारत सरकार की मंजूरी के बाद मिलीजुली प्रतिक्रियायें आ रही हैं। सरकार ने विमानन, रक्षा और इ-कॉमर्स के क्षेत्र में सौ प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दे दी है।
सोशल मीडिया पर जहां लोग सरकार समर्थन करते दिखायी दे रहे हैं, वहीं लगभग उतने ही उसका विरोध भी कर रहे हैं।
यदि हम सत्ता में और सत्ता से पहले की बात करें तो भाजपा पहले एफडीआई का खुलेआम विरोध करती थी, अब जबकि वह सत्ता में है तो उसने अपना इरादा बदल दिया है।
पीएम नरेन्द्र मोदी से लेकर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के एफडीआई पर पुराने ट्वीट खूब शेयर किये जा रहे हैं।
पी.एम. नरेन्द्र मोदी ने 5 दिसंबर 2012 को लिखा था -'कांग्रेस देश को विदेशियों को सौंप रही है. अधिकतर पार्टियां एफडीआई का विरोध कर रही हैं, लेकिन सीबीआई के डर से उन्होंने मतदान नहीं किया और कांग्रेस पिछले दरवाजे से जीत गयी.’
21 सितंबर 2012 के अपने ट्वीट में नरेन्द्र मोदी ने लिखा -'असम तथा एफडीआई का मामला बताता है कि हमारे पीएम जी ने हमारे लोकतंत्र की नयी परिभाषा गढ़ दी है। विदेशियों की सरकार, विदेशियों के द्वारा, विदेशियों के लिए।’
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 17 जुलाई 2013 को लिखा -'रक्षा और टेलीकॉम में विदेशी निवेश से सुरक्षा के लिए खतरे पैदा हो सकते हैं और इसके तहत नवीनतम तकनीक मिलने की भी गारंटी नहीं है।’
वहीं भाजपा की महिला मोर्चा की नेता प्रीति गांधी ने 21 जुलाई 2013 में एक ट्वीट में लिखा -'रक्षा और मीडिया जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बाजार को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई बढ़ाने से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।’
सत्ता में न होने के समय भाजपा ने जो कहा, सत्ता में आने के बाद उसका उलट कर रही है। इसे लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना शुरु कर दी है।
-पॉलिटिक्स ब्यूरो.
FDI पर पहले और अब में अंतर
Reviewed by Gajraula Times
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June 20, 2016
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